अपने पैर जमीन पर रखे..

एक सेमीनार में एक महिला  ने कहा उसने अपना प्रमुख निश्चित उदेश्य तय कर लिया है. किसी ने पूछा उसका उदेश्य क्या है उसका जवाब था में एक साल में आमिर बनने वाली हुँ. जिज्ञासा से उनसे पूछा की वर्तमान मे उनकी कितनी कमाई है तो पता चला की वह अभी कंगाल थी. उससे पूछा की […]

एक सेमीनार में एक महिला  ने कहा उसने अपना प्रमुख निश्चित उदेश्य तय कर लिया है. किसी ने पूछा उसका उदेश्य क्या है उसका जवाब था में एक साल में आमिर बनने वाली हुँ.

जिज्ञासा से उनसे पूछा की वर्तमान मे उनकी कितनी कमाई है तो पता चला की वह अभी कंगाल थी. उससे पूछा की वह क्या करती है तो उसने कहा की अक्षमताओं के कारण नौकरी से निकाला गया था. फिर उससे पूछा की ऐसे हालत में वह एक साल में लाखो रूपये  हासिल करने या करोड़पति बनने का लक्ष्य क्यों तय कर रही है

उसने कही बात दोहरा दी की आप कोई भी मनचाहा प्रमुख्य उद्देश तय का सकते है बशर्ते वह बिलकुल स्पष्ट हो. उसे विशवास था की उसके पास सफल होने के लिए आवशयक सभी चीजे है मैने उसे समझाया की उसके मौजूदा हालत को देखते हुए उसका लक्ष्य इतना अवास्तविक और असंभव दिख रहा है की वह इसे पूरा नहीं कर पायेगी. इसके बाद वह हताश हो जाएगी. इस तरह का लक्ष्य उसे वह काम करने के लिए प्रेरित ही नहीं करेगा. जो उसे भावी आर्थिक सफलता पाने के लिए करना चाहिए. उसकी प्रेरणा बढ़ने के बाजए कम हो जाएगी.

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