IPC के तहत जमानत के दो प्रकार है. अग्रिम जमानत, रेगुलर जमानत
IPC के तहत जमानत के दो प्रकार है. अग्रिम जमानत, रेगुलर जमानत
यदि पहले से ही किसी को आभास हो की वह गिरफ्तार होने वाला है, तो वह वकील के माध्यम से कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए अपील कर सकता है.
यदि पहले से ही किसी को आभास हो की वह गिरफ्तार होने वाला है, तो वह वकील के माध्यम से कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए अपील कर सकता है.
धारा 438 में अग्रिम बैल की व्यवस्था की गई है.
धारा 438 में अग्रिम बैल की व्यवस्था की गई है.
व्यक्ति अपराध में गिरफ्तार हो गया है और केस कोर्ट में चल रहा है तो वो अन्तरिम जमानत के अंतर्गत कोर्ट में अपील कर सकता है.
व्यक्ति अपराध में गिरफ्तार हो गया है और केस कोर्ट में चल रहा है तो वो अन्तरिम जमानत के अंतर्गत कोर्ट में अपील कर सकता है.
CRPC की धारा 439 के तहत अन्तरिम जमानत की वयवस्था की गई है. ऐसे केस में कोर्ट केस की स्थिति और गंभीरता को देखते हुए जमानत देती है.
CRPC की धारा 439 के तहत अन्तरिम जमानत की वयवस्था की गई है. ऐसे केस में कोर्ट केस की स्थिति और गंभीरता को देखते हुए जमानत देती है.
अगर कोई व्यक्ति जमानत के लिए कोर्ट में अपील करता है तो उसे कोर्ट की कुछ जरूरी शर्तें मानना पड़ती हैं.
अगर कोई व्यक्ति जमानत के लिए कोर्ट में अपील करता है तो उसे कोर्ट की कुछ जरूरी शर्तें मानना पड़ती हैं.
जमानत होने के बाद अपराधी विरोधी पक्ष को परेशान नहीं करेगा.
जमानत होने के बाद अपराधी विरोधी पक्ष को परेशान नहीं करेगा.
जमानत पर रिहा होने के बाद अपराधी किसी सबूत या फिर गवाह को मिटाने की कोशिश नहीं करेगा.
जमानत पर रिहा होने के बाद अपराधी किसी सबूत या फिर गवाह को मिटाने की कोशिश नहीं करेगा.
जमानत हो जाने के बाद अपराधी विदेश यात्रा नहीं कर सकता. इसके साथ ही अपराधी को अपने शहर या फिर उसके आसपास ही रहना होता है.
जमानत हो जाने के बाद अपराधी विदेश यात्रा नहीं कर सकता. इसके साथ ही अपराधी को अपने शहर या फिर उसके आसपास ही रहना होता है.
जमानत होने के बाद कोर्ट के आदेशानुसार पुलिस स्टेशन में समय-समय पर हाजिरी देने भी जाना होता है. अगर अपराधी ऐसा नहीं करने पर जमानत रद्द हो सकती है
जमानत होने के बाद कोर्ट के आदेशानुसार पुलिस स्टेशन में समय-समय पर हाजिरी देने भी जाना होता है. अगर अपराधी ऐसा नहीं करने पर जमानत रद्द हो सकती है