आज के समय में हर कोई Bank से लेन देन करते ही हैं हर किसी को Bank की सभी जानकारियों के बारे में भली-भांति मालूम होता है. यदि आप भी Bank से लेन देन करते हैं और आपने Check bounce के बारे में ना सुना हो एसा हो ही नहीं सकता है. आपने कभी Check bounce होने की समस्या का सामना भी किया होगा तो आप इस बात से अच्छी तरह अवगत होंगे की Check bounce क्यों होता है? Check bounce होने पर किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
फिर भी आज के समय में ऐसे कई व्यक्ति हैं जिन्हें इस बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं है कि Check bounce क्या होता है? Check bounce होने पर किन किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है ? Check bounce होने पर क्या करना चाहिए? Check bounce होने पर क्या करें ? इन सभी बातों की जानकारी आपको होना बहुत ही जरूरी है.
सामान्यतः देखा जाता है कि हमें पूरी जानकारी ना हो पाने के कारण हमें बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. आज इस लेख में हम आपको इन सभी बातों के बारे में बताइए जिन्हें जानने के बाद आप कभी भी Check bounce से संबंधित किसी भी समस्या से परेशान ना हो सके.
Check bounce क्या होता है? (What is a check bounce)
Check से संबंधित किसी भी जानकारी को हासिल करने से पहले हमें यह जानना बहुत ही जरूरी है कि आखिर Check bounce क्या होता है? साथ ही Check bounce कब होता है? सामान्यतः जब हम किसी भी व्यक्ति को Amount देने के लिए Check देते हैं और हमारे Bank Account में दिए गए Check के Amount के अनुसार पर्याप्त बैलेंस नहीं होता है ऐसी स्थिति में हमारा Check bounce हो जाता है Check bounce होने के कारण हमें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है साथ ही आर्थिक नुकसान का भी सामना करना पड़ता है.
कई बार जल्दबाजी में व्यक्ति उस Amount का भी Check दे देता है जितना पैसा उस व्यक्ति के Bank Account में नहीं होता है और अज्ञान वश कई बार वह Bank Account में Check पर लिखे गए Amount के बराबर पैसे जमा नहीं कर पाता है इस स्थिति में पर्याप्त बैलेंस ना हो पाने के कारण Bank हमारे Check को Bounce कर देता है.
Check कितने समय के लिए वैध होता है ? (How long is the check valid)
यदि आप Check से Bank का लेन देन करते हैं तो आप यह अच्छी तरह से जानते हैं कि जिस तारीख से Check जारी होता है उस तारीख से लेकर आगे आने वाले 3 महीने तक Check की वैधता रहती है. इस समय के बीच आप कभी भी Bank में Amount के लिए Check लगा सकते हैं यदि 3 महीने के बाद उस Check को लेकर हम Bank में जाएंगे तो Bank हमारा Check क्लियर नहीं करेगा क्योंकि Bank की नजरों में वह Check अमान्य हो जाता है इस स्थिति में आपके उस Check की कोई भी वेल्यू नहीं रहती है. यदि आप 3 महीने के बाद Bank Check लेकर क्लियर करवाने जाएंगे तो आपके हाथ पैसे की जगह निराशा ही लगेगी और आपको खाली हाथ ही Bank से वापस लौटना पड़ेगा.
Check bounce क्यों होता है / Check bounce होने के क्या कारण है ? (Why does the check bounce)
यदि आप Bank में Check देते हैं और वह Check bounce हो जाता है तो उसके कई कारण हो सकते हैं जिनमें से एक कारण यह भी हो सकता है-
– आपके Bank Account में पर्याप्त धनराशि का ना हो पाना
– आपके द्वारा किए गए हस्ताक्षर का Bank डाटा से ना मिल पाना
– आपके द्वारा लिखे गए Account नंबर का गलत होना
– Check में किसी भी तरह की ओवर राइटिंग या फिर गलती हो ना
– Bank को जाली Check होने का संदेह होने पर
– Check का कटा या फटा होना
– Check समय सीमा का समाप्त होना
– Check पर लिखी गई संख्याओं और शब्दों की राशि में समानता ना होना
– ओवरड्राफ्ट की लिमिट क्रॉस करना
– Check देने वाले व्यक्ति का Account क्लोज होना
– Check देने वाले के द्वारा भुगतान रोका जाना
इन कारणों के अलावा और भी कई कारण हैं जिस कारण Bank आपके Check को Bounce कर देती है यदि आप इन चीजों का खास ध्यान रखेंगे तो आपका Check कभी भी Bounce नहीं होगा और आपको किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना होगा.
Check bounce होने पर क्या करें? (What to do when a check bounces)
आए दिन हम कई लोगों के Check bounce होने की खबर सुनते रहते हैं हमारे आसपास कई ऐसे मामले होते रहते हैं जिनमें Check bounce होने की खबर सुनने को मिलती है Check bounce होने पर हमें क्या करना चाहिए? इस बारे में हमें जानकारी होना बहुत ही जरूरी होता है यदि हम सही जानकारी नहीं होती है तो हमारा काफी नुकसान होता है.
जैसा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं कि Check bounce उसी समय होता है जब हमारे Bank Account में पर्याप्त धनराशि नहीं होती है इस स्थिति में हमारा Check bounce कर दिया जाता है Check bounce होने के बाद Bank द्वारा Customer को एक रसीद प्रदान की जाती है जिसमें Check bounce होने की पूरी जानकारी लिखी होती है Bank द्वारा आप को दी गई रसीद में Bank इस बात का स्पष्ट उल्लेख करती है कि आपका Check bounce किस वजह से हुआ है और क्यों किया गया है.
Check bounce होने की स्थिति में देनदार को एक Legal notice 30 दिन के अंदर भेजना होता है इस प्रोसेस में उसे एक वकील की मदद भी लेनी पड़ती है इस प्रोसेस के बाद भी यदि Check जारी करने वाला देनदार आपको पैसे नहीं देता है या फिर किसी तरह की पैसे देने में आनाकानी करता है तो आप 15 दिन बाद जिला court में किसी भी वकील की सहायता से केस दर्ज कर सकते हैं.
इस प्रोसेस के बाद court आरोपी व्यक्ति को सजा के तौर पर जितनी राशि का Check दिया गया है उससे दुगना पैसा देने की सजा देती है. इसलिए जब भी आपका Check bounce हो जाता है तो और आप सही समय पर उचित करवाही नहीं करते है तो आपको आरोपी मानकर दंड भी दिया जा सकता है.
Cheque Bounce होने पर क्या कार्रवाई करें? (What action to take when Cheque Bounce)
जब Check bounce हो जाता है तो इस स्थिति में Bank द्वारा Customer को Check bounce रसीद प्रदान की जाती है जिसमें Check bounce क्यों हुआ और कब हुआ इस बात की पूरी जानकारी लिखी जाती है Bank के द्वारा दी गई रसीद में लिखी गई तारीख के 3 महीने के अंदर फिर से Check जमा करने को कहा जाता है. यदि Customer चाहे तो इस दरमियान वह कानूनी तौर पर कार्रवाई भी कर सकता है.
ग्राहक Check देने वाले व्यक्ति के खिलाफ यदि कानूनी कार्रवाई करना चाहता है तो उसे Check bounce होने की रसीद पर लिखी तारीख से 30 दिनों के अंदर ही Check जारी करने वाले व्यक्ति को एक Notice भेजा जाता है जिसमें मुख्य रुप से सभी तरह की अहम बातें लिखी होती है और Check डिपाजिट करने की डेट Check Amount और Check कब पास हुआ इन सभी बातों का स्पष्ट उल्लेख किया जाता है.
आपके द्वारा Legal noticeभेजने के बाद भी 1 महीने के अंदर Check जारी करने वाला व्यक्ति आपको पेमेंट नहीं करता है तो Negotiable Instruments Act section 138 के अंतर्गत Check देने वाले व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज कराई जा सकती है.
Check bounce होने पर केस दर्ज कैसे करें? (How to file a case when a check bounces)
आपके द्वारा भेजे गए Legal noticeके बाद भी यदि Check जारी करने वाला व्यक्ति आपको पेमेंट नहीं देता है तो आप 30 दिन के अंदर अपनी शिकायत court में दर्ज करा सकते हैं यदि 30 दिन बाद आप शिकायत दर्ज कराएँगे तो आपको देरी से आने का उचित कारण बताना होगा और यदि आपके द्वारा बताया गया कारण court को उचित नहीं लगता है तो court आपका केस सुनने से इनकार भी कर सकता है.
court के द्वारा सुनाए गए फैसले के दरमियान यदि Check जारी करने वाला व्यक्ति दोषी साबित होता है तो उसके खिलाफ Check bounce होने के कारण दंड के स्वरूप में Check पर लिखे गए Amount से दोगुना Amount जुर्माने के तौर पर और 2 साल की सजा सुनाई जा सकती है.
सिविल केस कैसे फाइल करें (How to file a civil case)
Check bounce होने की स्थिति में आपराधिक मामला दर्ज करने के साथ-साथ यदि आप Check धनराशि के साथ-साथ ब्याज भी लेना चाहते हैं तो आपको एक अलग से सिविल केस फाइल करना चाहिए. सिविल केस फाइल करने के लिए एक बात का विशेष ध्यान रखें कि आप सिविल केस सिर्फ उसी शहर में फाइल कर सकते हैं जहां पर आप रहते हैं या फिर आपने जिस जगह Check जमा किया था.
क्या गिफ्ट/ donation में मिला Check bounce होने पर कार्रवाई कर सकते हैं?
यदि आपको किसी व्यक्ति के द्वारा donation या फिर गिफ्ट के तौर पर दिया गया है और वह Check Bounce हो जाता है तो आप उस व्यक्ति के खिलाफ याचिका दर्ज नहीं कर सकते हैं और ना ही कोट आपकी याचिका को सुनने के लिए राजी होगा. donation या गिफ्ट के तौर पर दिए गए Check यदि Bounce हो जाता है तो Check देने वाले व्यक्ति पर किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है.
क्या Check bounce होने पर Criminal case दायर कर सकते हैं?
Check bounce होने के बाद यदि आप चाहें तो Check जारी करने वाले व्यक्ति के खिलाफ Criminal caseभी दायर कर सकते हैं. आप भारतीय दंड संहिता IPC की धारा 420 के अंतर्गत Check जारी करने वाले व्यक्ति के खिलाफ Criminal caseदर्ज कर सकते हैं हालांकि आपको इस बात को court में साबित करना होगा कि जिसे व्यक्ति ने Check जारी किया था उसका इरादा बेईमानी करने का था जिसके बाद court अपराधी को 7 साल की जेल और जुर्माना दोनों दंड के साथ प्रताड़ित करते हैं.
Criminal caseदायर करने के बाद एक बात का विशेष ध्यान रखें कि यदि आप court में इस बात को सिद्ध नहीं कर पाए की Check जारी करने वाले व्यक्ति का इरादा बेईमानी का था तो आप पर सामने वाला व्यक्ति भी मानहानि का केस दर्ज कर सकता है जिसके बाद आपको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
Check कौन-कौन जारी कर सकता है ? (Who can issue the check)
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि Check कोई भी व्यक्ति जारी कर सकता है कोई सी भी कंपनी ट्रस्ट सोसायटी संस्थान सभी को Check जारी करने की अथॉरिटी है. हालाकी एक बात का विशेष ध्यान रखें कि Check चाहे कोई भी व्यक्ति जारी करें लेकिन Check जारी होने की तारीख से लेकर 3 महीने तक ही उस Check की वैधता रहती है.
Check bounce होने पर court में केस करने की पूरी प्रक्रिया क्या है ? (Case process in court when check bounces)
Check bounce होने की घटना बहुत ही साधारण अपराध होता है इस अपराध को किसी भी court में भरमार होती है क्योंकि आज के समय में अधिकांश भुगतान Check के माध्यम से ही किए जाते हैं जिस वजह से कई Check bounce हो जाते हैं जिस वजह से Check जारी करने वालो के खिलाफ कई व्यक्ति court में याचिका दायर करते हैं और अपने पैसों को वापस पाने की गुहार लगाते हैं Check bounce होने के मुक़द्दमों की court में भरमार है.
Check bounce होने के बाद जब मामला court तक पहुँचता है तो court में एक पूरी प्रोसेस होती है काफी पूछताछ और जांच पड़ताल करने के बाद सही निर्णय लिया जाता है जिसके बाद अपराधी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है आइए जानते हैं कि Check bounce होने के बाद court में क्या प्रोसेस होती है?
Section 138 of Negotiable Instruments Act 1881 (निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 की धारा 138)
Check bounce होने पर Court में Section 138 of Negotiable Instruments Act 1881 के तहत केस दर्ज किया जाता है. जब किसी व्यक्ति के द्वारा आपको Check दिया जाता है और किसी कारण वश वह Bounce हो जाता है तब आपको अधिकार होता है कि आप उस व्यक्ति के खिलाफ Court में निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 की धारा 138 के अंतर्गत अपनी शिकायत कर सकते हैं.
Check bounce एक आपराधिक मामला
Check bounce होना एक आपराधिक केस होता है जिसकी कार्रवाई Court मजिस्ट्रेट के Court द्वारा पूरी की जाती है सामान्यतः लेन-देन के मामले में सिविल होते हैं लेकिन Check bounce के मामले को आपराधिक केस में रखा गया है.
Legal notice (लीगल नोटिस)
Check bounce के अपराध की शुरुआत Legal noticeके माध्यम से शुरू होती है जब Check bounce होता है उसके बाद Check bounce होने के 30 दिनों के अंदर अधिकृत अधिवक्ता द्वारा Check देने वाले व्यक्ति को एक Legal noticeभेजा जाता है.
Check bounce का Notice कैसे भेजें? (How to send a check bounce notice)
आपके द्वारा Bank में जमा किया गया Check bounce हो गया है और आप Check देने वाले व्यक्ति को Notice भेजना चाहते हैं तो इसके लिए आपको Legal noticeस्पीड पोस्ट या फिर रजिस्टर्ड एडी के माध्यम से आप Check देने वाले व्यक्ति को Notice भेज सकते हैं. एक बात का विशेष ध्यान रखें कि Bank के द्वारा Check bounce होने की जो स्लिप दी जाती है वह स्लिप केस करते समय आपके दस्तावेज़ों में सबसे महत्वपूर्ण होती है. आप जिस व्यक्ति को Notice भेजना चाहते हैं उस व्यक्ति का पूरा पता सही और सटीक होना चाहिए क्योंकि आप जो पता वहां पर लिखवाते है उसी पते पर Legal noticeभेजा जाता है.
किस court में Check bounce होने की शिकायत की जाती है?
आपने जिस Bank में Check क्लियर होने के लिए दिया है उस Bank के अंतर्गत आने वाले थाना क्षेत्र के मजिस्ट्रेट के Court में Check bounce होने का प्रकरण दर्ज किया जाता है.
Check bounce होने पर court की फीस कितनी लगती है? (What is the court fee when the check bounces)
Check bounce होने के मामले में court के फैसले से महत्वपूर्ण होती है Check bounce के अंतर्गत court में 303 स्तर से ली जाती है court में Check bounce की फीस स्टाफ के माध्यम से ली जाती है जिसके नियम निम्नलिखित हैं-
– 10 हजार रुपए तक के Check के लिए Check में लिखी गई राशि की 5% फीस court को देना होती है.
– 10 हजार रुपए से 50 हजार रुपए तक के Check के लिए Check में लिखी गई राशि की 4% राशि court को देनी होती है.
– 50 हजार रुपए से अधिक की राशि यदि Check पर लिखी गई है तो उस राशि का 3% हिस्सा court को फीस के तौर पर देना होता है.
Check bounce होने पर केस करने के लिए किन-किन दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है?
– परिवाद पत्र (complaint letter)
– Check की मूल प्रति (Original copy of check)
– Check bounce रसीद (Check bounce receipt)
– Legal noticeकी प्रति (Copy of legal notice)
– गवाहों की लिस्ट (List of witnesses)
परिवाद पत्र (complaint letter)
सभी दस्तावेज़ों में परिवाद पत्र (complaint letter) सबसे महत्वपूर्ण होता है. यह पत्र मजिस्ट्रेट के Court के नाम से तैयार किया जाता है जिसमें भुगतान से संबंधित सभी लेन देन का लेखा जोखा लिखा हुआ होता है साथ ही व्यवहार से संबंधित सभी बिंदुओं पर Court के मजिस्ट्रेट को संज्ञान दिया जाता है तथा इसमें शपथ पत्र भी होता है यह शपथ पत्र आयुक्त द्वारा रजिस्टर्ड होता है.
Check की मूल प्रति (Original copy of check)
दस्तावेज़ों में आपके पास Check की ओरिजिनल कॉपी का होना बहुत ही जरूरी होता है क्योंकि जब आप court में केस लेकर जाते हैं तब आपसे सभी चीजों की ओरिजिनल कॉपी मांगी जाती है जिसे ध्यान में रखते हुए Court इस केस पर कार्यवाही शुरु करता है.
Check bounce रसीद (Check bounce receipt)
Bank के द्वारा जब Check bounce कर दिया जाता है और आप जब Bank जाते हैं तो Bank आपको Check bounce कि एक रिसिप्ट देता है जिसमें Bank द्वारा Check कब और क्यों Bounce किया गया है इन सभी बातों का स्पष्ट उल्लेख होता है court में इन सभी बातों पर अमल किया जाता है जिसके बाद ही फैसला सुनाया जाता है इसलिए आपके पास Check bounce रसीद होना बहुत ही जरूरी होता है.
Legal notice की प्रति (Copy of legal notice)
जब आपके द्वारा जमा किया गया Check bounce हो जाता है और आप Check जारी करने वाले व्यक्ति को Legal noticeभेजते हैं तो उसकी आपके पास एक रसीद होती है जिसे सर्विस स्लिप कहा जाता है उसका होना आपके पास बहुत ही जरूरी होता है उसने अपने Legal noticeभेजे जाने की दिनांक अंकित होती है जिसे court एक सबूत के तौर पर मानती है. यह स्लिप आपको सभी दस्तावेज़ों में लगाना बहुत ही जरूरी होता है.
गवाहों की लिस्ट (List of witnesses)
इस केस के अंतर्गत यदि आपके पास कोई गवाह है तो आपको सभी दस्तावेज़ों में गवाहों की एक लिस्ट को भी एड करना होता है जिसमें उन गवाहों के नाम नंबर एड्रेस सब चीजें लिखी हुई होती है ताकि उनसे इस केस के बारे में पूछताछ की जा सके.
Check bounce केस Court में रजिस्टर कैसे होता है?? (How does a check bounce case register in the court?)
यदि आपके पास सभी दस्तावेज़ सही और सुरक्षित हैं तब किस Court में जाता है और Court के द्वारा सभी दस्तावेज़ों का सत्यापन करने के बाद आपके केस को रजिस्टर्ड कर दिया जाता है. यदि आपका केस रजिस्टर्ड कर लिया जाता है तो Court द्वारा आपको केस नंबर अलॉट कर दिया जाता है.
समन :- (summon)
जब court में केस पहुँचता है तो सभी पक्ष कारों को Court द्वारा समन दिया जाता है और उन्हें Court में उपस्थित होने हेतु आदेश दिया जाता है.
पुनः समन :- (Re summon)
court में आरोपी द्वारा उपस्थित होने के बाद केस में अपनी लिखित अभी कथन नहीं कर रहा है तो ऐसी स्थिति में Court द्वारा उन्हें पुनः समन दिया जाता है.
वारंट (Warrant)
यदि किसी कारण वश Court में आरोपी नहीं आता है तो उन्हें बुलाने के लिए वारंट भी निकाला जाता है. court शुरुआत में समन के द्वारा आरोपी को court में बुलाने के लिए प्रयास करती लेकिन फिर भी वह court में उपस्थित नहीं होता है तो Court अपने अनुसार गैर ज़मानती या फिर जमानत वाला किसी भी तरह का वारंट आरोपी के नाम से संबंधित थाना क्षेत्र में जारी कर देती है.
Cross Examination (प्रति परीक्षण)
Court में जब आरोपी उपस्थित हो जाता है तो Negotiable Act Section 145 (2) आवेदन देकर court से Cross Examination करने की विनती करता है जिसे court Cross Examination करने की अनुमति दे देती है.
जुर्म साबित करना :- (Proved a crime)
जब court में प्रकरण आ जाता है तो Check देने वाला व्यक्ति खुद को निर्दोष साबित करने का प्रयास करता है जबकि Check लेना वाला व्यक्ति Check देने वाले व्यक्ति को दोषी सिद्ध करने का प्रयास करता है हर कोई अपने अनुसार स्वयं से आरोप हटाने का प्रयास करता है.
समरी ट्रायल (Summary trial)
Court क्या अनुसार यह एक समरी ट्रायल होता है जिसे वह अति शीघ्र निपटाने का प्रयास करता है बचाव पक्ष के पास साक्ष्य का उतने अवसर नहीं होते हैं जितने अवसर सेशन ट्रायल में दिए जाते हैं.
समझौता करना (settlement)
Check bounce होना एक समझौता योग्य केस होता है इस केस के अंतर्गत दोनों पक्ष कार अपने आपसी विवेक से समझौता कर court से इस केस को खत्म करना चाहते हैं तो वहां पर उनका समझौता करा दिया जाता है इस तरह यह केस वहीं पर खत्म हो जाता है.
2018 नियम संशोधन (2018 rule amendment)
2018 में किए गए धारा 143 संशोधन के अंतर्गत Negotiable Instruments Act के अनुसार आप Check देने वाले व्यक्ति के खिलाफ एक आवेदन के माध्यम से Check पर अंकित की गई धनराशि का 20% हिस्सा court द्वारा दिलाए जाने का निवेदन कर सकते हैं और Court भी अपने आदेश के माध्यम से Check जारी करने वाले व्यक्ति से आपको धनराशि दिलवा सकता है.
अंतिम बहस (Final debate)
यदि आरोपी इस केस को समझौता करके केस खत्म नहीं करना चाहता है और वह इस केस को और आगे बढ़ाना चाहता है तो इस स्थिति में court अपना फैसला तय करते हुए और आरोप तय करते हुए अपने अंतिम बहस के लिए सुरक्षित रख देती है तथा Check लेने वाले एवं Check देने वाला पक्ष कार आपस में अंतिम बहस की जाती है.
निर्णय (Decision)
अंत में जब मामला आखिरी फैसले पर आता है तब court के द्वारा दोष सिद्ध हो जाने पर आरोपी को 2 साल की जेल हो सकती है.
ज़मानती अपराध :- (Bail crime)
Check bounce होने का अपराध एक ज़मानती अपराध होता है जिसमें आरोपी पर यदि दोष सिद्ध हो जाता है और उसे Court द्वारा जेल की सजा सुना दी जाती है तो ऐसी स्थिति में आरोपी ऊपर के Court में अपनी याचिका दायर करते हुए जमानत ले सकता है.
Check bounce होने पर समझौता कब किया जाता है?
Check bounce होने का अपराध एक समझौता वाला अपराध होता है. हालांकि हर कोई जानबूझकर Check bounce होने की स्थिति आने तो नहीं देता है लेकिन फिर भी यदि Check bounce हो जाता है और यह मामला court में बहुत ज्यादा है तो वह किसी भी समय आपसी समझौता कर इस केस को वहीं पर खत्म कर सकता है और आगे होने वाली परेशानियों से बच सकता है.
Check bounce होने में Bank में कितना चार्ज लगता है ? (Check bounce bank charge)
जब Check Bounce हो जाता है तो ऐसे में Bank अपने ग्राहकों से Check bounce होने का शुल्क लेती है. बैंकों द्वारा Check bounce होने का यह शुल्क निर्धारित कर लिया जाता है जिसके बाद यदि Check bounce होने की स्थिति होती है तब वह अपने Customer से लेती आइए जानते हैं Check bounce होने पर Bank कितना चार्ज लेती है? cheque bounce charges
एचडीएफसी Bank Check bounce चार्ज (HDFC Bank Check Bounce Charge)
यदि आपके खाते में पैसे नहीं हैं और ऐसी स्थिति में Check bounce हो जाता है तो एचडीएफसी Bank पहले 3 महीनों के अंदर Check रिटर्न होने पर 350 रुपए चार्ज लेती है तथा बाद में 750 रुपए चार्ज के रूप में लेती है. यदि किसी तकनीकी कारण के चलते आपका Check bounce होता है तो भी Bank आपसे Check bounce होने के लिए 50 रुपए चार्ज लेगा.
एसबीआई Bank Check bounce चार्ज (SBI Bank Check Bounce Charge)
यदि आपका एसबीआई में Account है और आपका Check bounce हो गया है तो एसबीआई आपसे यदि 1 लाख रुपए तक का Check bounce होता है तो उस पर 150 रुपए चार्ज और यदि इससे अधिक का Check होता है तो उस पर 250 रुपये के साथ जी-एसटी भी आपको देना होता है. यदि एसबीआई में तकनीकी कारण के चलते आपका Check bounce होता है तब आपको 150 रुपए Bank को देना होते हैं.
आईसीआईसीआई Bank Check bounce चार्ज (ICICI Bank Check Bounce Charge)
आईसीआईसीआई Bank मैं लोकल Check डिपॉजिट करने के बाद यदि आपका Check bounce हो जाता है तो Bank आपसे 100 रुपए का चार्ज Check bounce होने का लेती है आउट स्टेशन Check bounce होने पर आईसीआईसीआई Bank आप से 150 रुपए चार्ज तथा गैर वित्तीय कारणों से यदि 1 महीने में पहली बार आपका Check रिटर्न हो गया है तो आपको 350 रुपए और उसके बाद वापस होने पर 750 रुपए का चार्ज Bank को देना होता है.
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